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इतिहास तिमिरनाशक


मीरजाफर से एक अ़हदनामा लिखवा लिया लेकिन उसमें इतना ओर बढ़ाया गया कि कलकत्ते से दखन कालपी तक कम्पनी की ज़मीदारी समझी जावे फ्रांसीसियों का जो कुछही वह अंगरेजों का और फ्रांसीसी हमेशाके लिये बंगाल से निकाल दिये जावें। और मीरजाफर की तरफ से करोड़ रुपये कम्पनी को पचास लाख कलकते के अंगरेज़ों को बीस लाख हिंदुस्ता- नियों को सात लाख धर्मनियों को पचास लाख सिपाही और ज़हाजियों को और दस लाख कौंसल के मेम्बरों को नुकसानीके तौर पर मिलें।

सेठ अमीचंद का कलकते में चार लाख रुपया लूटा गया था। और कुछ और भी नुकसान हुआ था। वह सिराजुद्दौलाके ज़रा मुंह लग गयाथा। और इस सबब से वाट्स साहिब काभी उससे बहुत काम निकलता था। वाट्स साहिब ने अमीचंद को भी इस मश्वरे में शरीक किया। लेकिन अमीचंद को लालच नेघेरा। कहा किजोकुछ अंगरेजोको ख़ज़ाने सेमिले ५) सैकड़ा मुझे दो नहीं तो मैं अभी सिराजुद्दौला से यह सारा भेदं खोल दूंगा बाट्स ने लाइब को लिखा लाइवं ने देखा कि अमीचंद तो हम सब को आफ़त में डाला चाहता है नाचारदो काग़ज़ों पर दो तरह का अहदनामा लिखा लाल काग़जें पर जो अहदनामा लिखा उस में तो अमीचंद को सेकड़ा देने का इकरार था। और सफेद कागज़ पर जो लिखा उस में उस का नाम ही न था। इन दोनों कागजों पर जब कौंसल वालों के दस्तखत होने लगे अडमिरल यानी अमीरुल बहर वाट्सन ने लाल काग़ज़ पर दस्तख़त करनेसे इनकार किया लेकिन कौंसलवालों ने उसका दस्तखत आप बनालिखा गोया फ़ार्सी मसल पर गर ज़रूरत बुवद रवा बाशदा काम किया।

निदान क्लाइव तीन हजार आदमी और ९ तोपलेकरकल- कत्ते से निकला। सिराजुद्दौला भी पचास हज़ारसवार पियादे और ४० से ऊपर तोपें लेकर पलासीतक आया। चाल्लीसपचास