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भाल्हखण्ड । ६२ उमर तुम्हारी बहु थोरी है ताते धरा धीर ना जाय १४ जालिम राजा माडोवाला ऊदन मानो कही इमार ।। धुआँ न दीख्यो तुम तोपनका नहिरणनांगिदीख तलवार १५ पटा बनेठी वाना गदका सीखो रोज बनाफरराय ।। जो जी चाहै सो तुम खावो कुश्ती लड़ो अखाड़े जाय १६ पै नहिं जावो तुम माड़ो को बेटा म्बरे उदयसिंहराय ।। सुनिक बातें परिमालिक की बोला तुरत बनाफरराय १७ बरा बरस का क्षत्री लरिका रणमा गह नहीं तलवार ।। नालति त्यहिके फिरि जीवेका पैदा होवेका धिक्कार १८ वरह वरसके कृष्णचन्द्र रहें मथुरा कंस पछारयो जाय ।। कालयमन औजरासन्ध फिरि तिनपर कीन चढ़ाई आय १६ मोहरा मारा तिन दुष्टनका यह नित कहें विप्र सब गाय॥ मोहिं भरोसा शिरीकृष्ण का तिन वललेउँ बापका दाँय २० सुनिक बातें ये ऊदन की तब मनजानिलीन परिमाल ।। कहा हमारो यहु मानी ना नाहर देशराज का लाल २१ यहै सोचिके परिमालिक ने घोड़ा पांच लीन मँगवाय॥ लीन कबुतरी को मलखाने वैदुल लीन उदयसिंहराय २२ घोड़ करिलियाआल्हा लीन्यो सिरगा बनरस का सरदार ।। लीन मनोहर फिर घोड़े को यहु भीषम का राजकुमार २३ जूझक कङ्कण सवालास का ऊदन हाथ दीन पहिराय ।। आशिप दीन्ह्यो परिमालिक ने माड़ो लेउ बाप का दाँय २४ जितनी फौज म्बरे मोहवे मा सवियाँ बेगि लेउ सजवाय ।। जावो माड़ो में पांचों मिलि मारो जाय करिंगाराय २५ सुनिक बातें परिमालिक की पांचों चलत भये शिरनाय ।।