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तेहेदारी की समता है बीरभुगन्ता तव मारत भा बेलासतीअन्तमैदान । ६०६ ५ तेहा राखे रजपूती का कीन्हे जंग केर श्रृंगार ३४ भाला बरछी दूनों लीन्हे दूनों लिये ढाल तलवार ॥ पाग बैंजनी शिरपर धारे कनउज दिल्ली के सरदार ३५ कलँगी सोहैं दोउ पगियन में दोउन हीरा करें बहार ॥ रूप उजागर सबगुण आगर कनउज दिल्ली के सरदार ३६ है समता राज काज व्यवहार ।। समता वय में नहिं लाखनिकी थोरी उमर केर सरदार ३७ गंगा मामा कुड़हरिताले तिनते कहा तहाँ ललकार ॥ मारो मारो अब जल्दीते मामा काह लगाई बार ३८ इतना सुनिकै गंगा ठाकुर अपनी बैंचि लीन तलवार ॥ गंगा लीन ढालपरवार ३६ . ऐचि सिरोही गंगामास तुरतै दीन्यो मूड़ गिराय ।। वीरभुगन्ता के जूझतखन धाँधू गयो तड़ाकाआय ४० अद्भुत समर कहा ना जाय। दूनों मारें तलवारी से दूनों ले बार बचाय ४१ ले कोऊ काहू ते कमती ना दोउ रण परा बरोवरिआय ॥ बार चूकिगे गंगा ठाकुर धाँधू मारा गुजे घुमाय ४२ परिग मस्तक सो गंगा के तुरतै गिरा भरहरा खाय ॥ गिरिगे गंगा जव हाथी पर तुरतै अटा कनौजीराय ४३ दोऊ लड़न लागिसरदार।। दोऊ मारै तलवारी सों दोऊ लेय ढाल पर वार ४४ दोऊ करें भड़ामड़ मार ।। भौरानंद पर धाँधू ठाकुर लाखनि भूरी पर असबार १५ दोज होदा यकमिल देगे दोऊ करें समर ललकार। धाँधू गंगा का मुर्चामा लाखनि धाँधू का मुर्चा भा कोऊ काह ते कमती ना