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संयोगिनिस्वयम्बर। जामा पहिरे रेशमवाला आला कनउज का सरदार ५ पाग बैंजनी शिरपर सो है तापर कलँगी कर बहार॥ कवि औ पण्डित बहु बैठे हैं भारी लाग राजदर्बार ६ नचे पतुरिया सन्मुख ठाढ़े ओढ़े काशमीर के सारि ॥ जूरा झलकै त्यहि सारी विच काली नागिनिके अनुहारि ७ फूल चमेलिन के जूरा में नखतन सरिसकरै उजियारि ॥ हवा सोहै गल बेलाका छैला ताको रहे निहारिक वालाहाल त्यहि कानन में गालन छु और टरिजॉय ।। अद्भुत बेसरि स्वहै नाक में शोभा कही तासु ना जाय । दुलरी तिलरी पंचलरीलों सो गलबिच में करें बहार ।। बाजू सोहैं दोउ बाइन में जोशन शोभाअमित अपार१० सोहैं कलाइन में ककना भल तामें चुरियाँ करें बहार ॥ छल्ला सोहँ त्यहि अँगुरिन में ताको क्षत्री रहे निहार ११ सोने करगता तीन लरनको सो कम्मर में करें बहार ।। कड़ा के ऊपर छड़ा विराजें तापर पायजेब झनकार १२ पैर जमावै कमर झुकावे अँगुरिन भाव बतावति जाय ।। जौनि रागिनी जब वाजिवहै ताको तबै देय दर्शाय १३ जब दिशि जावति है राजाके पावै द्रव्य जाय हर्षाय ।। माफी पाये है कनउज में लरिकातीनिसाखिलोंखाँय १४ लाग अखाड़ा रजपूतन का शोभा कही बूत ना जाय ।। खाये अफीमन के गोला बहु पलकें मूंदें औ रहिजाँय १५ उड़े तमाखू • बुटवल वाली धुवना सरग रहा मड़राय ॥ भाँग जमाये बहु बैठे हैं मनमाँ रहे रामयश गाय १६ त्यही समइया त्यहि अवसरमाँ राजै गयो सोच मनछाय॥