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चन्दनबागकेरमेदान । ५८७ पारस पत्थरहै मोहबेमा लोहा छुवत सोन द्वैजाय ।। राजपाट ले सब मोहबेके सब मोहवेक तुमसुखभोगकरोअधिकाय ११ इतना सुनिकै बेला बोली मानो साँच बनाफरराय ।। जल्दी जावो तुम दिल्लीको चन्दनबाग कटावो जाय १२ विना पियोर इक प्रीतम के सबमुखनरकसरिस दिखराय ।। नाशकरनको हम उपजीथीं दूनों बंश डरे मरवाय १३ अव सुखसोकस मोहवेमा दिल्ली जाउ बनाफरराय ॥ इतना सुनिक ऊदन बोले वेला साँचदेय बतलाय१४ अब नहिं जावें हम दिल्लीको कीन्हे कोप पिथोराराय ।। जान आपनो सबको प्यारो जलथल जीवजन्तुजेमाय १५ पगिया अरझी नहिं बगिया में सोई चन्दनदेय मँगाय ॥ औरो चन्दन बहु दुनिया में सोकहुछकरनलवों लदाय १६ पै अब दिल्ली को जैहौं ना बेला साँच देउँ बतलाय ।। इतना सुनिकै बेला बोली मानो कही बनाफरराय १७ शाप तडाका अब मैं देहौं ऊदन तुरत भस्म लैजाय ।। बातें सुनिक ये वेला की कम्पितभयो लहुरखाभाय १८ लाखनि बोले तब ऊदन ते चंदन चलो देय कटवाय ।। आखिर देही यह रहिह ना अव यश लेउ बनाफरराय १९ इतना सुनिक ऊदन बोले साँची कहौ कनौजीराय ॥ जल्दी चलिये अब दिल्लीको चन्दनवाग लेय कटवाय २० सम्मत करिके ऊदन लाखनि डंका तुरत दीन बजवाय ।। बाजे डंका अहतंका के हाहाकार शब्दगा छाय २१ भूरी सजिकै लखराना की तुरते गई तड़ाका प्राय ।। फूलमती पद वन्दन करिक त्यहिपर बैठ कनौजीराय २२