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माडोका युद्ध । ५३ सुनिक बातें तिन मालिन की माहिल ठाकुर उठा रिसाय ३३ लिल्ली घोड़ी को मँगवायो तापर माहिल भयो सवार । जायकै पहुँच्यो फुलवगिया में ठाकुर उरई को सरदार ३४ गोद उठायो फिरि अभई को तुरतै नलकी लीन मँगाय ॥ त्यहि पौढ़ायो सो अभई को महलन तुरत दीनपहुँचाय३५ अपना चलिभाफिरि मोहबेको लिल्लीघोड़ी पर असवार ।। तिक्तिकतितिक्हांकतिआवै पहुँचा फेरि महोवेदार ३६ उतरिके घोड़ी सों जल्दी सों चलिभो जहाँ रजापरिमाल । राम जुहार कीन राजा को औफिरिकहनलागसबहाल३७ तुमने ऊदन को पालो है राजा मोहवे के सरदार ।। दाख छुहारेन की बगिया को ऊदन जाय कीन संहार ३८ भुजा उखारी तिन अभई की मारो हिरण बाग में जाय ।। दूजी कीन्ही म्बरे साथ में ओ महराजा बातवनाय ३६ ऐस बहादुर जो पैदा भे काहे न लेय बाप को दायँ ।। जम्बे राजा माडोवाला माडोवाला दशहरि पुरवा लीन लुटाय४० बाँधिक मुश्कै देशराज की पत्थर कल्हू डरा पिरवाय॥ लेखा पतुरिया देशराज की सो लैगयो करिंगाराय ४१ घोड़ पपीहा औं हाथी को लीन्यो हार नौलखा आय ॥ सोवत माखो बच्छराज को दशहरिपुरवा दीन फुकाय ४२ इतना कहते ऊदन आयो राजा गयो सनाका खाय ॥ कलहा लड़िका देशराज को जो मरिबे को नहीं डेराय ४३ सुनिक बातें सो माहिल की ठादो भयो शीश को नायः॥ को है राजा माडोवाला सांची हमें देउ बतलाय ४४ को है मारा म्वरे बाप को पुरवा कौन दीन फुकवाय ॥