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बेलाताहरकामेदान । ५७७ भागा सुनिकै बेला बोली बहिनी साँचदेय बतलाय १२६ हम तो रण्डा वादिन जाना जादिन मरे वीर मलखान ॥ कीरति पायो जग मण्डल में तुमको सत्तदीन भगवान १३० करि परिकरमा फिरि चौराकी पलकी चढ़ी तड़ाकाधाये ॥ दावे लश्कर को श्रावति भै मनमें श्रीगणेशपदध्याय १३१ पहर अढ़ाई के असामा डोला गयो फौजमें आय । यह अलबेला बेला रानी प्रीतम पास पहूँचीजाय १३२ देख्यो बेला को ब्रह्मानंद आयसु तुरत दीन फरमाय ॥ मोरि लालसा यह ड्वालतिहै ताहरशीशदिखावोआय १३३ सुनिक बातें ये प्रीतम की दोऊ हाथ जोरि शिरनाय । बेला बोली फिरि प्रीतम ते. आपन बस्त्र देउमँगवाय १३४ यामें संशय कछु नाहीहै ताहर शीश दिखाउब आय ॥ धीरज राखो अपने मनमाँ अब मैं जात तड़ाकाधाय १३५ सुनिक बातें ये बेला की सब सामान दीन मँगवाय॥ भइ मर्दाना वेला रानी शोमा कहीबून ना जाय १३६ झीलम बखतर वेना पहिरी शिरपर धरी बैंजनी पाग ॥ को गति वरणै तहँ बेला के मुखमेंस्व तिलनके दाग १३७ छुरी कटारी बेला बाँधी कम्मर कसी एकतलवार ।। भाला बरछी ले हाथे मा हरनागर पर भई सवार १३८ बाजे डंका अहतंका के फौजें सो भई तय्यार ।। घोड़ वेंदुला का चढ़वैया नाहर उदयसिंह सरदार १३६ त्यही समैया त्यहि औसरमा बेला पास पहूँचा आय ॥ उदन बोले तहँ बेलाते हमको लेवो साथ लिवाय १४० मनिके बातें ये ऊदन की वेला बोली वचन उदार ॥