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आल्हखण्ड । ५५४ कारी अलक नागिन झलक पलक सुंदै औ रहिजाय ११७ व्यला भवानी बनि महरानी पलकी चढ़ी तड़ाका धाय ।। चलिभै पलकी फिरि बेलाकै लाखनिपास पहूँची आय ११८ लैकै पलकी लाखनि राना तुरतै कूच दीन करखाय ।। सय्यद देवा धनुवाँ लकै पहुँचा आय वनाफरराय ११६ मठी शारदा की डांड़े पर डोला तहाँ दीन धरवाय ।। वेला पहुँची तहँ मठिया मा पूजन हेतु शारदामाय १२० चन्दन अक्षत औ पुष्पन सों बेला पूज्यो मोद बढ़ाय ॥ धूप दीप दी तहँ देवी की मेवा मिश्री भोग लगाय १२१ फुलवा मालिनि ते फिरि बोली ताहर खबरि जनावो जाय ॥ वहिनि तुम्हारी के डोला को लीन्हे जाँय कनौजीराय ९२२ बदला लेहैं संयोगिनि का तुम्हरे जीवेका धिक्कार ॥ जल्दी आवो अब मारग में डोला रोकि लेउ यहिवार १२३ मालिनि चलिमै तब मठिया ते दिल्ली अटी तड़ाका धाय ।। खबरि सुनाई सब ताहर को दोऊ हाथजोरिशिस्नायं १२४ सुनिकै वातत्यहि मालिनि की ताहर फौज लीन सजवाय ।। वाजत डंका अहतका के - तुरते कूच दीन करवाय १२५ यहु निरशंका दिल्लीवाला' ताहर अटा तड़ाका आय ।। यो ललकारा लखराना को ठाढ़े होउ कनौजीराय १२६ धरि के डोला अब वेला का तुरतै कूच देउ करवाय ॥ नहीतो बत्रिहींना कनउज लग जोविधिआपवावआय १२७ भरी हथिनी के ऊपर ते लाखनि गरू दीन ललकार।। मर्द सराहों में ताहर को डोला पास आउ सरदार १२८ बेला मिलिहें अब ब्रह्मा को ताहर कूच जाउ करवाय ।।