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आल्हखण्ड । ५०८ कलश सूवरण हौदावाला लीन्ह्यो तुरत बनाफरराय १६३ स्यावसि स्यावसि कह्यो पिथौरा पाछे हाथी लीन हटाय ॥ तबै कनौजी मन शरमाने ताहर गयो बरोबरि आय १६४ लाखनि ताहर का मुर्चामा ऊदन और चौड़िया ज्यान ।। धाँधू धनुवाँ के वरणी मै सच्यद भूरूका मैदान १६५ नदी बेतवाके झाबर मा बाजे घूमि घूमि तलवार ।। ॥ ऐसी नाहर कनउज वाले वैसी दिल्लीके सरदार १६६ हौदा हौदा यकमिल द्वैगा अंकुशभिड़ा महौतनक्यार॥ पैदल पैदलकै वरणी मैं औ असवारसाथ असवार १६७ उरई फौजे दल बादल सों वाजें छपक छपक तलवार ।। छुरी कटारी भाला बरछी ऊनाचले विलाइतिक्यार १६८ तीर तमंचा के मंचा भे भाला वरछिनकर पगार ।। मरे कटारिन औ छूरिनके नदिया बही रक्तकी धार १६६ मुण्डन केरे मुड़ चौराभे औ रुण्डन के लगे पहार।। हिरसिंह विरसिंह विरियावाले दोऊ लड़ें तहाँसरदार १७० रहिमत सहिमत दउ मारेगे हिरसिंह विरसिंह के मैदान । धाँधू धनुवाँ के मुर्चामा मुर्चा हारिंगये चौहान १७१ लाखनि राना के मुर्चामा मरिगे दतिया के नरपाल ॥ ताहर ठाकुर के मुर्चा मा बेटा देशराजका लाल १७२ तबलों आये लाखनिराना तिनते फेरि चली तलवार ।। चढ़ा कनौजी है भूरी पर यहुदलगंजनपरअसवार १७३ तीनि सिरोही ताहर मारी लाखनि लीन ढालपर वार ।। क्रोधित हक लाखनिराना तुरतै कीन्यो गुर्जप्रहार १७४ चोट लागिगै सो घोड़ा के तुरतै भाग सहित असवार । .