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६ आल्ह खण्ड । ४६८ पूँड़ि लपेटा हाथी भिडिगे अंकुश मिड़े महोतन क्यार ।। गजके हौदाते शर वर नीचे करें महाउत मार ४६ कटि कटि कल्ला गिर खेतमा घायल भये सुघरुवा ज्वान ॥ नदी बेतवा के डांड़ेपर लाखनि चौड़ाका मैदान ४७ दाव्यो लश्कर लखराना का लाग्यो होन भड़ाभड़ मार ॥ भागि सिपाही दिल्लीवाले अपने डारि डारि हथियार४८ चौड़ा बाम्हन नौ लाखनिका परिगा समर बरोवरि आय ॥ तीर चौंडिया तकिकै मारा लाखनि लेगे वार बचाय ४६ तुरतै भूरी को दौरावा चौंड़ा पास पहूँचे जाय ।। भाला मारा लखराना ने हाथी गिरा पछाराखाय ५० सुप्त चौड़िया पैदल द्वैगा तव यह कहा कनौजीराय ॥ पायें पियादे को मारें ना हाथी और लेउ मँगवाय ५१ इतना कहिकै लाखनिराना आगे दीन्ही फोनवढाय ।। बाजे डंका अहतंका के हाहाकार शब्द गा छाय ५२ सुर्चा हटिगा जब चौड़ा का धावन तबै पहूँचा जाय॥ मुनि हरिकारा की वार्तं सत्र ताहर बेटा लीन बुलाय ५३ हुकुम लगावा महराजा ने तुम चदिनाउ नदीपर धाय ॥ हुकुम पिथौरा का पावतखन डका तुरत दीन बजवाय ५४ सजा रिसाला घोड़न वाला आला तीनि लाखलों माय ।। कच्छी मच्छी ताजी तुर्की हरियल सुर्ख परें दिखेराय ५५ को गति वणे तहॅ सिरगनकी मिरगन चाल चलेसब जायें । हंस चालपर पँचकल्यानी मुश्की मोरसरिस दिखराय ५६ लबा कि चालन ताजी जावें हरियल चलें कबूतर चाल । कच्छी कच्छपकी चालनमा मच्छी मगरमच्छकी चाल ५७