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आल्ह खण्ड। ४२ सुनिक वाते हरिकारा की ताल्हन ब्बला बनारसक्यार ।। भयो बखेड़ा है धूरेपर . हुँवनाचली विषमतलवार ४५ हम फिरियादी कनउज जावें राजा जयचंद के दरवार। सुनिक बातें ये ताल्हनि की सोऊ बोला बचन उदार ४६ उन घर नायब चंदेलो है जो परिमाल मोहोवे क्यार॥ एक महीना की छुट्टीले आयो घरै आपने यार ४७ तुमचलिजावो परिमालिकदिग तो सब काज सिद्धि लैजाय । नाहिं तो वरसैं तुमका लगिहँ मानो सत्य सत्य सबभाय ४८ सुनिक वातें हरिकारा की ये चलिगयो जहाँ परिमाल ।। तुरते मिलिकै परिमालिक सों अपनो गायगयो सबहाल ४६ बड़ी प्रीतिसों परिमालिक तब इनको द्वार दीन टिकवाय ।। सिधा मँगायो सब क्षत्रिन को ताल्हनि खानादीन मँगाय ५० बनी रोसइयाँ रजपूतन की क्षत्रिन जेई लीन ज्यवनार ।। अब यहु लड़िका जम्बैवाला ठाकुर माडोका सरदार ५१ दावतिभावे सो मोहवे को करिया करिया के अनुमान । बजें नगाड़ा त्यहि फौजन माँ भारी होय घोर घमसान ५२ सुन्यो नगाड़ा के शब्दन को चकृत भयो रजापरिमाल । तव हरिकारा दुइ आवतभे तेसब कह्यो वहाँ परहाल ५३ सुनिक बातें हरिकारा की फाटक बन्द लीन करवाय ॥ तवलों करिया फौजे लेके फाटक उपर पहूँचा आय ५४ हुकुम लगायो रजपूतन को कुल्हड़न फाटक देव गिराय ।। मर्दिगर्दि करि सब मोहवे को नेका टकालेउँ निकराय ५५ तीतो लरिका में जम्ने का नहिं ई डारों मुच्छमुड़ाय ।। कादर बंश चंदेलाराय ५६ नीके गहना ये देहैं ना