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महोवेका प्रथमयुद्ध । ४१ सुनिकै बातें ये माहिल की करिया चरणन शीश नवाय॥ बिदामाँगिकै फिरि माहिलसों तम्बू तुरत पहूंचा प्राय ३३ हुकुम लगायो सब क्षत्रिनको ह्याँते कूच देव करवाय ।। करो तयारी अब मोहवे की सीताराम चरणको ध्याय ३४ सुनिकै वाते ये करिया की क्षत्री सबै भये हुशियार ।। हथी चढेया हाथिन चढ़िगे बाँके घोड़न भे असवार ३५ कूच के डंका बाजन लागे घूमन लागे लाल निशान ॥ चलिभो करिया फिरि मोहबेको मनमें किहे गंगको ध्यान ३६ त्यही समइया की बातें हैं यारो सुनिल्यो कान लगाय॥ चारो भाई हैं बकसर के जिनका कही बनाफरराय ३७ रहिमले टोंडर बच्छराज औ चौथे देशराज महराज ॥ मीराताल्हन है बनरस के जिनकेनौलड़िकाशिरताज३८ अली अलोमत औदरियाखां बेटा जानवेग सुल्तान ।। मियांबिसारत औ दरियाई नाहर कारे औ कल्यान ३६ कारे बाना करे निशाना कारे घोड़न पर असवार ॥ चीरा शिर पर है सुलतानी मीराताल्हन केर कुमार ४० ये सब मिलिकै यकठौरी लै डाँड़ पै किहेनि बखेड़ाजाय ।। जयचंद केरी तह ठकुरी है जिनका कही कनौजीराय ४१ सब फिरियादी गे कनउज को पहुँचे नगर महोबा जाय ।। नगर महोवा सों कनउज को रस्ता सीध निकरिगै भाय ४२ यक हरिकारा सों पूँछत मे चारों भई चारों भई बनाफरराय ।। जावा चाहै हम कनउज को जह रहे चंदेलोराय ४३ सुनिकै बातें इन चारों की सोऊ कहा वचन हर्षाय ।। कोने मतलब को जावतही हमते सत्य देव बतलाय ४४