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आल्हखण्ड। ४१६ दोऊ मारें तलवारिन सों दोऊ लेयँ ढाल पर वार ३० कोऊ काहू ते कमती ना दोउ रण परा वरोबरि आय ॥ वार चलाई रंजित ठाकुर सूरज लैगा चोट बचाय ३१ सूरज मारा तलवारी का रंजित लीन ढाल पर-वार । रंजित मारा तलवारी का का चेहरा काटि निकरिगै पार ३२ सूरज जूझे जब मुर्चा में पहुँचा टंक तुर्नही आय ॥ टंक सामने अभई आये खेलन लागि जूझके दायँ ३३ यहु रणनाहर माहिलवाला गई हाँक देय ललकार ।। रंक शंक तजि त्यहि औसरमा दूनों हाथ कर तलवार ३४ साँग चलाई नृपति टंक ने अभई लीन्ही वार बचाय ॥ भाला मारा जव अभई ने तोंदी परा घाव सो जाय ३५ टंक औ सूरज दोऊ मरिगे हाहाकार फौज गा छाय ।। गा हरिकारा फिरि फौजन ते राजै खबरि जनाई जाय ३६ हाल पायकै पृथीराज ने ताहर वेग लीन बुलाय ।। मर्दनि सर्दनि को वुलवावा तिनते हालकहा समुझाय ३७ टंक और सूरज दोऊ जूझे कीरतिसागर के मैदान । लाश लयआचो दउ वीरन की भात्री जानि सदा वलवान ३८ हुकुम पायकै महराजा को डंका तुरत दीन वजवाय ।। तीन लाखलों लश्कर लैकै तुरतै कूच दीन करवाय ३६ कीरतिसागर मदनपालपर ताहर अा तुरतही धाय ।। लाश देखिकै दउ वीरन कै सो पलकी मदीन रखाय४० निकट जायक दल रंजितके गरुई हॉक कहा गुहराय । कौन वहादुर है मोहवे का सूरज के दीन गिराय ४१ होला देके चन्द्रावलि का अवहीं कूच देउ करवाय॥ ।।