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महोबेकामथमयुद्ध । ३६ त्यहि ते तुम का समुझावत हों बचुवा मानो कहा हमार ।। राह कनौजी के तहते है ठाकुर समरधनी तलवार हाथ जोरिक करिया बोल्यो दोऊ चरणन शीश नवाय ॥ मने न करिये म्बहिं गंगा को ददुवा बार बार बलिजायँ १० पार लगै हैं श्री गंगाजी मेरो वार न बांको जाय ॥ पकरो जइहाँ जो मेला में पैसा माफ लेउँ करवाय ११ हुकुम जो पावों मैं ददुवा को तौफिरि गंगाअवों अन्हाय ॥ विनती सुनिकै बहु करिया की जम्बै हुकुम दीन फरमाय १२ हुकुम पायकै सो जम्नै को अपने कह्यो सिपाहिन बात ॥ करो तयारी जाजमऊ की गंगान्हान हेतु हम जात १३ हुकुम पायकै सो करिया का तुरतै होन लागि तय्यार ।। झीलमबखतरपहिरिसिपाहिन हाथ म लीन ढाल तलवार १४ यक यक भाला दुइ दुइ बरछी - लीन्हेनि कड़ाबीन सबज्वान॥ बजे नगारा त्यहि सम या माँ भारी होन लाग घमसान १५ करियां चलिभात्यहि समयामाँ माता भवन पहूँचा जाय ।। हाथ जोरिक करिया बोल्यो माता चरणन शीशनवाय १६ मोहिं आज्ञा है ददुवा की गंगा न्हान हेतु हम जाय। आज्ञा पाऊँ जो माता की तौसब काज सिद्धद्वैजायँ १७ बात मुनिक ये करिया की मातें हुकुम दीन फरमाय ॥ चुम्यो चाट्यो हृदय लगायो आशिर्बाद दीन हर्षाय १८ बहिनि बिजेसिनि तब बोलत भै भैया बार बार बलिजाउँ ।। मोहिं निशानी कल्लु लैआयो जासों यादिकरूं तव नाउँ १६ इतनी सुनिक करिया बोला बहिनी मानो कहा हमार ।। लवों निशानी में मेलाते बहिनी कहानगरों वार २० 1