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१५. गाँजरकीलड़ाई। १०५ माल खजाना सव लुटवायो डंका फेरि दीन बजवाय ।। जीति कामरू कामक्षा को तहते कूच दीन करवाय १५२ जायकै पहुँचे वंगाले में झंडा तहाँ दीन गड़वाय ॥ बजे नगारा तहँ आल्हा के · नभऔअवनिशब्दगाछाय१५३ गा हरिकारा तब जल्दी सों · राजै खबरि सुनावा जाय ।। भारी फौजै क्यहु राजा की डाँड़े परी हमारे आय १५४ सुनिके बातें हरिकारा की राजा गयो सनाकाखाय ॥ देखन पठवाक्यहु अफ्सरको त्यहिसबखबरिसुनावाआय १५५ गुरुखा राजा बंगाले का मन्त्रिन बोला बचन सुनाय ॥ तुरत नगाड़ा को बजवावो सवियाँफौजलेउसजवाय १५६ हुकुम पायकै महराजा का सत्रियाँ फौज भई तैयार। पहिल नगाड़ा मा जिनबंदी · दुसरे फाँदिभये असवार १५७ हथी अगिनियाँ महराजा को सोऊ बेगि भयो तय्यार ।। सुमिरि भवानी जगदम्बा का राजा तुरत भयो असवार १५८ दाढ़ी. करखा बोलन लोगे विपन कीन बेद उच्चार ।। रणकी मौहरि बाजन लागी रणकाहोनलागव्यवहार १५६ पांच घरी के फिरि अर्सा मां राजा गयो समर में आय ॥ घोड़ बेंदुला को चदवेया यह रणवाघु बनाफरराय १६० सम्मुख आवो महराजा के औ यह बोला भुजा उठाय ।। बारह बरसन की बाकी अब राजन श्राप देउ मँगवाय१६१ लाखनि आये हैं कनउज ते आल्हा ऊदन साथ लिवाय॥ बोटे भाई हम आल्हा के ऊदन नाम हमारो आय १६२ इतना सुनिके गुरुखा राजा बोला महाक्रोध को पाय । टरिजा टरिजा रे सम्मुख ते नहिशिरदेवों भूमिगिराय १६३ ।