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आल्हखण्ड । ४०० बाँधिक मुशक फिरि दोउनकी कनउज तुरत दीन पहुँचाय ॥ किलाजीतिकैफिरि विरियाको आगे चला बनाफरराय ६४ चारिकोस जव पट्टी रहिंगै ऊदन डेरा दीन गड़ाय ।। सात निराजा पट्टी वालो ताको डॉड़ दवायो जाय ६५ तब हरिकारा पट्टी वाला सातनि खबरि सुनावाआय॥ गाफिल वैठे तुम महराजा डांड़े फौज परी अधिकाय ६६ इतना मुनिकै सातनि राजा गुप्ती धावन दीन पठाय ।। हाल पायकै सो फोजन का राजै फेरि सुनावा आय ६७ सुनी हकीकति जब सातनिने डंका तुरतदीन वजवाय ।। सजे सिपाही पट्टी वाले मनमें श्रीगणेशको ध्याय ६८ हथी चढ़ेया हाथिन चढ़िगे बांके घोड़न मे असवार।। झीलमबखतरपहिरि सिपाहिन हाथम लई ढाल तलवार ६६ चदिगा हाथीपर महराजा महराजा करिकै रामचन्द्र को ध्यान ।। कूच कराय दयो पट्टी सों घूमतआवे लाल निशान १०० घरी अढ़ाई के अरसा माँ सम्मुख गयो फौजके आय ।। आवत दीख्यो जब फौजनको तुरतै उठा बनाफरराय १०१, भुजा उठाये ऊदन बोल्यो गई हाँक देत ललकार ।। सँभरो सँभरो ओ रजपूतो अपने वांधि लेउ हथियार१०२ इतना सुनिक सब रजपूतन अपनी लई ढाल तलवार ।। हथी चढैया हाथिन चदिगे बाँके घोड़न मे असवार १०३ सजा बेंदुला का चढ़वैया लाला देशराज का लाल । मारु मारु करि मौहरिवाजी बाजी हाउ हाउ करनाल १०४ बजे नगारा भो तुरही फिरि दोलन शब्दकीन विकराल ॥ शूर सिपाही दुहुँ तरफा के लागेयुद्धकरनत्यहिकाल १०५