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तैसे . रावण लाखनिका विवाह । ३८६ २३ ते मनमाँझ विचारकरें औ धरै मनमें प्रभुकी प्रभुताई ॥ त्यागत झूठ प्रपञ्च सबै औ जवै मन भासत हैं रघुराई । नाशत पाप सबै ललिते फलिते जगधर्म कि बेलि सदाई६३ सोई मन्तर मन अन्तर धरि यन्तर धर्म बनाफरराय । बड़ी बड़ाई कनउज पायो कीरति रही आजलों छाय ६१ विपदा सहिकै यहि दुनियामा त्यागा धर्म नहीं कहुँभाय । तासों बेली यह फैली अति सुन्दर धर्म रूप जलपाय ६५ श्रधरम वेली दुरयोधन की छैलिकै लीन जगतकोछाय॥ कंसासुरहू बाढ़यो धनै बलै अधिकाय ६६ रीछ बँदरवा ग्वालन बालन दूनन दीन्यो तुरत नशाय ॥ तासों चहिये यहि दुनियामाँ नितप्रतिनवतनवत नैजाय६७ धन बल बाढ़े त्यहि दुनियामाँ कीरति जाय धरामें छाय ।। खेत छूटिगा दिननायक सों झंडागड़ा निशाकोआय ६८ तारागण सब चमकन लागे संतन धुनी दीन परचाय ॥ परे आलसी खटिया तकितकि घोंघों कण्ठ रहे घर्गय ६९ आशिर्वाद देउँ मुंशीसुत जीवो प्रागनरायण भाय । हुकुम तुम्हारो जो पावत ना ललिते कहतकथाकस गाय७० रहे समुन्दर में जबलों जल जबलों हैं चन्द औ सूर ॥ मालिक ललिते के तवलों तुम यशसों रही सदा भरपूर ७१ माथ नवावों पितु अपने को जिनवल माथ भई यह पार॥ जैसे सेयो बालापन में तैसे सदा होउ रखवार ७२ जल थल जन्मों चहु पहाड़ में स्वामी होयें राम भगवान ॥ यह वर पावें ललिते पण्डित खण्डित होय न हमरी चान ७३