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आदखण्ड।३५० सातो लड़िका अभिनन्दन के आल्हा कैदलीनकरवाय २१५ तव अभिनन्दन रिसहा के अपनो हाथी दीन वढाय ।। आल्हा ठाकुर पचशब्दापर राजा पास पहुँचे आय २१६ तब ललकारो अभिनन्दनने आल्हा कूच देउ करवाय ॥ जियना' न जैहौ तुम सम्मुखते जोबिधिमापवचावैआय २१७ इतना सुनिकै आल्हा बोले राजन साँच देय बतलाय ॥ बिना वियाहे हम बेटा को कैसे लौटि मोहोवे जा २१८ भलो आपनो जो तुम चाही सबकी कैद लेउ छुड़वाय ॥ हँसी खुशी सों बेटी व्याहो काहे रारि बढ़ावो भाय २१६ बिना बियाहे हम जैवे ना चहुतन धजीधजी उड़िजाय। इतना सुनिक अभिनन्दनने मारयो भालातुरतचलाय २२० चार बचाई तब आल्हा ने साँकरि हाथी दीन गहाय ।। आल्हा बोले पचशब्दा ते अब गाढ़े में होउ सहाय २२१ घूमो हाथी तब आल्हा को रणमा साँकरिहा घुमाय॥ जितने साथी अभिनन्दन के ते सब भागे पीठिदिखाय २२२ सुके सिपाही मोहवे वाले मारें एक एक को धाय ।। अलखे ऊदन देवा मकरंद सिवियाँलश्करदीनभगाय २२३ भागी फौजें अभिनन्दन की इकलो रहा आप नरराज ।। ॥ कियो लड़ाई भल इकलेई कैदी भयो फेरि महराज २२४ गंगा कीन्ही फिरि फौजन में इन्दल ब्याह द्याव करवाय। सातों लड़िकन सों महराजा आल्हागकुरदीन छुड़ाय २२५ तुरतै पण्डित को बुलवायो सोऊ साइति दीन बताय॥ ॥ भई तयारी फिरि भौरिन के मड़ये तरे पहूँचे जाय २२६