यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

24newhatsammanand इन्दलहरण। ३४३ हाल जानि के आल्हा ठाकुर मनमेंसोचिसाचिअधिकाय१३१ भायसु दीन्यो मलखाने को भावै करो तीन तुम भाय ।। इतना सुनिक मलखे चलि भे सुनवाँ महल पहूँचे जाय १३२ सुनवाँ दीख्यो मलखाने को आदर भाव कीन शाधिकाय ॥ हाथ पकरिके फिरि इन्दल का मलखे भाभीदीन गहाय १३३ यह गति जानें नारायण फिरि कितनी खुशीभई अधिकाय ॥ पूंछन लागी जब ऊदन का मलखेगये कथा सब गाय १३४ अब सुखदाई दिन आवा है भौजी पूत विवाहब जाय ।। कायल द्वैकै बड़भाई ने हमते हुकुमदीन फरमाय १३५ यही महीना मा भारी हैं पण्डित साइति दीन बताय॥ करो तयारी भव व्याहे की नरवर मिली बनाफरराय १३६ नाम बनाफर का सुननेखन फुलवा तहाँ पहूँची आय ।। जितनी गाथा बघऊदन की बाँदिनतहांदीनवतलाय १३७ बड़ी खुशाली में फुलवा के द्यावलि बार बार बलिजाय । उहते चलिक मलखे ठाकुर पण्डिततुरतलीनबुलवाय १३८ छिकै साइति मलखे ठाकुर राजन न्यवन दीन पठाय॥ ब्याह नगीचे न्यवतहरी सब · दशहरिपुर पहूंचेआय १३६ माँय मन्तरा के व्यरिया भै पण्डित अटा तड़ाका प्राय ।। रानी आई मोहवे वाली भारी भीर भई अधिकाय १४० करि अवलम्बा जगदम्बा का अम्बा बार बार शिरनाय ।। भई तयारी फिरि व्याहे की इन्दलचढ़ापालकी जाय १४१ वाजे डंका अहतका के हाहाकार शब्द गा छाय।। कुँवाँ विवाह्यो फिरि इन्दल ने सुनवाँ पैर दीन लटकाय १४२ यही नेग जब पूरा देगा इन्दल चढ़ा पालकी आय ।।