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आल्हखण्ड । ३३८ मोहिं तपस्या को वल पूरो तुमहूँ राख्यो नाहि छिपाय ७३ भूत भविष्यत वर्तमान की गाथा सबै सकें बतलोय ॥ बातें सुनिकै ई योगी की बेटी पिंजरा लई उठाय ७४ करिकै बाहर फिरि पिंजराके तुरतै मानुप दीन वनाय ।। यही तरासों नित प्रनि वेटी निशि में पास लेय पौढ़ाय ७५ इन्दल दीख्यो जब ऊदन को तब यह वोल्यो वचन सुनाय॥ धोखे भले ना योगी के चाचा यहाँ पहूँचे आय ७६ बातें सुनिक ये इन्दल की बेटी मूड़ लीन निहुराय ॥ ऊदन वोले तब बेटी ते तुम्हरो व्याह देव करवाय ७७ सवा बनावो तुम इन्दल को हम को मंत्र देउ बतलाय ॥ ५रो उदासी है मोहने में करिव व्याह वहाँते आय ७८ बेटी बोली तब ऊदन ते चाचा साँचदेय बतलाय ॥ डोला हमरो पहिले जाई तो हम मानुप देर वनाय ७६ नहीं तो कन्ता अब जैसुना रहें सदा हमारे पास ॥ वारा बरसै जब तप कीनी तविधिपूरिकीनममआश ८० कैसे जीवे विन स्वामी के चाचा कहै छोड़िकै लाज ।। इतना सुनिकै ऊदन बोले। चेटी धरो धीर मनआज ८१ चोरी चोरा म्यहिं भावे ना तुमने साफ देय बतलाय ।। कौन दुसरिहा उदयसिंहको रोकी व्याह यहाँपर आय ८२ वांधिक मुशकै अभिनन्दनकी भौरी तुरत लेब करवाय ।। देश देश ओ जगमें जाहिर नामी सबै वनाफरराय ८३ महिनाभर के फिरि अर्सा में टॉपर व्याह करख हम आय ।। इन्दल बोले चितरेखा ते यहही ठीकठाक ठहराय ८४ कदा न टारो तुम चाचाको तौविधि फेरि मिले हैं आय ॥