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२७ संयोगिनिस्वयम्बर। जौने बैलके गोला लाने मानों मगर कुल्याँचै खाय २७ जौने बछेड़ा के गोला लागै आधे सरग लिहे मड़राय ॥ गोला लागै ज्यहि क्षत्री के साथै उडाचील्ह असजाय २८ बड़ी दुर्दशा भै तोपन में हाहाकारी शब्द सुनाय । दोनों दल आगे को बढ़िगे तोपन मारु बन्द ढे जाय २६ गोला ओला सम वरसत मे सन सन सन्नकार गा छाय।। चलें बदूखै बादलपुरकी वादलपुरकी जो नब्बेकी एक बिकाय ३० मघा नखत सम गोली वर डोलिन घहिया जायँ उठाय॥ को गति वरणे बन्दूखन की हमरे बूत कही ना जाय ३१ दूनों दल आगेको बढ़िगे संगम भये शूर सरदार ।। सुंदि लपेटा हाथी भिडिगे अंकुशभिड़े महौतनक्यार ३२ हौदा हौदा यकमिल द्वैगे क्षत्रिन लैचि लीन तलवार ।। भाला वरछिन सों क्वउ मारें कोऊ लेय ढालकी वार ३३ सँदि लपेटे जंजीरन को जंजीरन को हाथी रणमा रहे । घुमाय ।। लागि जजीर जिनके जावे तिनके अंग भंग हैजायँ ३४ मस्तक मस्तक गजके मारें अद्भुत समर कहा ना जाय। भाला छूटे असवारन के खन खन ठन्न उन्नगाछाय ३५ चम चम चमक तलवारी तह मर मर रगड़ ढालकी होय ।। घम् घम् घम् घम् बजे नगारा बोल मारु मारु सब कोय ३६ खट खट खट खट तेगा बोलैं बोलें छपा छप्प तलवार ।। झलझलझल झलरीझलक तिनसों होयतहाँ उजियार ३७ ज्यहिकी वारन जो चदि नावै सो हनिदेय ताहि तलवार ।। अपन परावा कछु सूझैना दोनों हाथ होय तहँ मार ३८