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चन्द्रावलि की चौथि । ३०४ मर सर मारें तलवारिन सों तीरन मन्न मन्न गा छाय १३२ धम् धम् धम् धम् बजे नगारा मारा मारा पर सुनाय।। झम्झम्झम्झम्झीलमझलकें नीलम रंग परें दिखराय १३३ चम् चम चम चम्भाला चमक दमकै उडुगण मनों अकाश। बम बम बम बम् क्षेत्री बँबके भभक शूरनकेर प्रकाश १३४ सवैया॥ आश करें नहिं पाणन की ललिते रणशूरन रीति सदाहै । प्राण कि नाश कि कीर्ति प्रकाश कि आश नहीं सुख या बिपदाहै। बीर कि शान कि पान कि मान कि ठानठने मलखान यदाहै। शान कि आन करे रणज्वान सोप्राणपयान कियेयीतदाहै १३५ को गति वरणे मलखाने कै रणमाँ कठिन करै तलवार ।। घोड़ बेंदुला का चढ़वैया नाहर उदयसिंह सरदार १३६ गनि गनि मारै रजपूतन का बेटा देशराज का लाल । मोहनठाकुर बौरी वाला आला बीरशाहका बाल १३७ बिकट. लड़ाई की संयुग में कायर भागे लिहे परान । बड़ा लडैया भीषमवाला आला मैनपुरी चौहान १३८ लड़े चौंडिया दिल्लीवाला बेटा लडै पिथौराक्यार ।। को गति बरणै इन्द्रसेन के दूनों हाथ करै तलवार १३६ मलखे बोले इन्द्रसेन से , जीजा मानों कही हमार ॥ बहिनी बेही तुम्हरे घरमाँ तुमते सदा हमारीहार १४० अवै मसाला कळु बिगराना अनमल नहीं कीन कर्त्तार ।। विदा कराये बिन जैसे ना मानो सत्यवचन सरदार १४१ फौजे फ्यारो समरभूमि ते गौरी जाउ आप ततकाल ।। .