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भाल्हखण्ड । ३०६ छाय अधेरिया गै दशहूदिशि कतहुँ न सूझे अपन विरान६६ धावा कैगा दोऊ दल का दोऊ भये बरोवरि आयं ॥ सूरजगकुर बौरी वाला सिरसा क्यार वनाफरराय ९७ दोऊ सोहैं भल घोड़नपर लीन्हे हाथ ढाल तलवार॥ दउ ललकारन मारन लागे सम्मुख होत होत सरदार E7 सुंडि लपेटा हाथी भिडिगे अंकुश भिड़ा महौतनक्यार । होदा होदा यकमिल ढगा औ असवार साथ असवार ९९ कल्ला भिडिगे असवारन के लागी होन भडाभड़ मार ।। छूटे ऊना लण्डन वाले कोताखानी चली कटार १०० विजुली दमकै कउँधा चमकै तैसे धमकिरही तलवार॥ मलखे ठाकुर शूर जुरावर दोऊ लड़नलागि सरदार १०१ सूरज ऊदन की भेंटन में लेटनलागि सिपाही ज्वान। परे लपेटे भट भेटे जे लेटे समर भूमि मैदान १०२ मनो ससेटे यम भेटे मे लेटे क्षत्री परम जुझार॥ वह पनारा तहँ रक्कन के औ हिलकारा उ अपार १०३ को गति वरणै तहँ पैदल की बाजे घूमि घूमि तलवार । अपन परावा कछु सूझना जूझै जूझ बूझ त्यहिवार १०४ बड़ी लड़ाई में बौरीगढ़ मलखे सूरज के मैदान ॥ फिरि फिरि मार औ ललकारे नाहर समरधनी मलखान १०५ बड़ा लडैया सिरसा वाला ज्यहिते हारि गई तलवार।। घोड़ी कबुतरी रणमें नाचे साँचे शूरवीर सरदार १०६ सुरज बोले तिन मलखे ते ठाकुर मानो कही हमार। लोटि मोहोवे जल्दी जावो तवहीं कुशलरचाकरतार १०७ सना मुनिके मलसे गोले तुमते साँच देय बतलाये।