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चन्द्रावलि की चौथि। २८९ भलो चुरो कछ वे माने ना बेटा देशराज के लाल ५६ इतना सुनिकै ऊदन वोले दोऊ हाथ जोरि शिरनाय ॥ कीन प्रतिज्ञा हम महराजा वहिनी विदा लेब करवाय ६० ठि प्रतिज्ञा हम करि हैं ना चहुतनधजीधजी उडिजाय ।। करो आज्ञा अब जाने की आशिर्वाद देउ हरपाय ६१ इतना सुनिकै महराजा तव. चीराकलँगी दीन मँगाय ॥ शाल दुशाला मोहनमाला सबंधनदीन लाखको भाय ६२ रानी अगमा यह सुनि पावा आये देशराज के लाल ॥ ॥ भयो बुलौवा जब महलन ते 'आयसु दीन तवै महिपाल ६३ तुरतै ऊदन तहँ ते चलिमे रानी भवन पहूँचे आय। आईं नारी बहु दिल्ली की देखन हेतु लहुरवा भाय ६४ रूप देखिकै बघऊदन को मनमें कहें गिरीश मनाय ।। मेरो वालम ऊदन होतो देतो शिव यह योगवनाय ६५ तो मनभाती दिखलाती सब श्राती फेरि यहाँलग कौन ॥ छाती खोले दिखलाती सो गाती गीत रंगीले जौन ६६ ऐसी नारी नहिं केहू युग कलियुगकुलटनकोअधिकार।। उलटन पुलटन कुलटन दीख्यो ऊदन जानिगयो बयपार ६७ भगिनी माता औ कन्या सम कीन्योतीनि भांति व्यवहार ।। रानी अगमा बोलन लागी मानों उदयसिंह सरदार ६ तुम नहिं जावो गढ़वोरी को बेटा देशराज के लाल ।। बिना विचारे औ शोचे विन केसे पठे दीन परिमाल ६६ बिना दयाके बोरीवाले नित उठिकरें निर्दयी काम ॥ जानि बूझिकै कैसे पठवें उदनजाउ यमन के धाम ७० इतना सुनिक उदन बोले माता साँच देय बतलाय ।।