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उदगसिंहका विवाह । २५१ बड़ा लड़ेया जंगमाँ जाहिर ठाकुर बेंदुलका असवार १२७ इतना सुनिकै फुलवा वाली मालिनि साँच देउ बतलाय ।। हाथ पैर पुरूषन के ऐसे करें करें परें दिखाय १२८ इतना सुनिके मालिनि बोली साँचे वचन करों परमान ॥ भैसि चराई बालापनमाँ माता पिता दरिद्रीजान १२६ परी व्यवस्था लरिकाई में ताको करी कहाँलगगान ।। जैसी गुजरी हमरे ऊपर ऐसी परे न काहू आन १३० फुलवा बोली फिरि हिरिया ते मालिनि जाउ घरै यहिबार । काल्हि सबेरे यहि लैजायो साँची मांनो कही हमार १३१ इतना सुनिकै हिरिया चलिमें अपने घरै पहूँची आय ।। फुलवा वाँदी को बुलवायो तासों चौपरिलीन मँगाय १३२ खेलन लागी मालिनि सँगमाँ आधी राति गई नगच्याय ।। लेके पंखा बाँदी हाँकै ऊंदन केर वस्त्र उडिजाय १३३ कजा झलकै तलवारी का सो फुलवा के परा निगाह ।। फुलवा बोली तब मालिनिते झलके बगल तुम्हारे काह१३४ तुम नहिं बेटीही मालिनिकी औ छल किह्यो यहाँपर आय ।। सुनि मकरन्दा तुमका पाई तुरतै खोदि लेइ गड़वाय १३५ अब पहिचाना हम तुमको है बेटा देशराज के लाल । जियत न हो तुम महलनते औपरिंगयोकालके गाल १३६ नाम तुम्हारो उदयसिंह है तुमही वेदुल के असवार ।। इतना सुनिकै मालिनि वोली कीन्ह्योनीकीआजचिन्हार१३७. कह पे दीख्यो तुभ ऊदन को साँचे हाल देउ बतलाय ।। इतना सुनिक सब वाँदिनको फुलवा तुरतै दीन हटाय १३८ भो फिरि बोली बचऊदन ते मानो कही बनाफरराय ।। .