पाल्हखण्ड । २४८ लाव मलाई अब जल्दी सों दौति चली वजारे जाय ६१ इतना सुनिकै हिरिया बोली साँची सुनो बनाफरराय ॥ हार छोडिकै जाउँ बजार तो तकसीर बड़ी लैजाय ६२ तनकिउ देरी हमका लागी फुलवा जाई बेगि रिसाय ॥ बातें सुनिकै ये हिरिया की बोले फेरि बनाफरराय ६३ हार तुम्हारो हम गूंथत हैं मालिनि जाउ बजरिया धाय ।। पांच अशर्फी ऊदन दीन्ह्यो मालिनिचली तड़ाकाजाय६४ बेला चमेली औ निवारिको ऊदन हार कीन तय्यार ।। मालिनि आई जब वजारते देखा चार लरिनको हार ६५ हिरिया बोली तब ऊदन ते देवर मानो कही हमार ॥ हार दुलरिया रोज बनावों चौलर आज भयो तम्यार ६६ करौं गांठी तुम्हरी की फूलन खूब सटा है यार । हाल जो पूँछी फुलवर। उत्तर काह देव सरदार ६७ वाते सुनिकै ये मालिन की बोला उदयसिंह त्यहिबार ।। बिटिया आई म्बरि बहिनी के ताने हार कीन तय्यार ६८ इतनासुनिकै हिरियामालिनि तुरतै डिलिया लीन उठाय॥ जहना बेटी रह नरपति के मालिनि तहाँ पहूंची जाय ६६ वैठि पलँगरा फुतवा वेटी मालिनि हार दीन पहिराय ।। चार लरिन को हवा दीख्यो फुलवा वोलीवचनरिसाय १०० रोज दुलरिया ले आवति थी कौने [धा चोलंराहार ।। साँच वतांचे री मालिनि अब नाहीं पेट फरहों खार १०१ इतना सुनिके मालिनि वोली दोऊ हाथ जोरि शिरनाय ॥ विटिया भाई बरि बहिनी के ताने हार बनायो आय १०२ .. वह तो न्याही है मोहवे माँ जहँपर बसें रजापरिमाल ।।
पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/२५१
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।