यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

आल्हखण्ड। २४६ हाटक निकट म्बरे द्वारे के सीधा घास लिह्यो मैंगवाय ६७ सुनिके बातें त्यहि माली के ऊदन कूच दीन करवाय ।। द्वारे पहुंचे फिरि माली के मेखै तहाँ दीन गड़वाय ६८ मांगिकै पलँगा माली लायो द्वारे तुरत दीन डरवाय ॥ गद्दा परिगा मखमलवाला आला वैठ बनाफरराय ६६ माली चलिभा फुलवगियाका मालिनि द्वार पहूँची आय ॥ मालिनि बोली उदयसिंह ते ठाकुर हाल देउ बतलाय ७० कहाँ ते आये औ कहँ जैहौ तुम्हरो काह नाम है भाय ।। बातें सुनिकै ये मालिनि की बोले तुरत वनाफरराय ७१ नाम हमारो उदयसिंह है हमरो देश मोहोवा जान ।। ॥ छोटे भैया हम आल्हा - के । साँचे वचन हमारे मान र मुनिक बातें ये ऊदन करे., मालिनि फेरि कहा शिरनायत आल्हा वेहे कौन शहर में साँची साँची देउ बताय ७३ मुनिके वातें ये मालिनि की बोला उदयसिंह सरदार ।। भैया व्याहे नैनागढ़ माँ सुनवाँ जी आय हमार ७४ बड़ी खुशाली भै मालिनिके बोली हाथ जोरि शिरनाय । हमहूँ सुनवा साथै खेली हिरिया नाम हमारो भाय ७५ मैको हमरो है नैनागढ़ सुनवाँ बहिनी लगै हमारि ॥ चलिकै बैठो म्बरे मन्दिर में देवर सेवा करों तुम्हारि ७६ वात सुनिकै ये हिरिया की भा मन खुशी बनाफरराय॥ दिह्योअशर्फी दश मालिनिको औयहवोल्योवचनसुनाय ७७ सीधा लावो तुम लरिकनको भोजन वेगि पकावो जाय ।। दिना चारि यहि पुरमा रहिकै पाये कूच देव करवाय ७८ मुनिक ये ऊदन की मालिनि वैठि धाम में जाय ।।