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ब्रह्माका विवाह । २१६ जहर धुरावो तुम शरबत में श्री लश्करमें देउ - पठाय ६३ बिना बयारी जूना टूटै ओ बिन औषधि बहै बलाय ।। यह तयारी अब करिडारो तो सबकाम सिद्ध बैजाय ६४ साम दाम औ दण्ड भेद सों क्षत्री करें आपनो काम ।। छल बल क्षत्री का धम है तुमको कौन करै बदनाम ६५ बातें सुनिक ये माहिल की भा मन बड़ा खुशी नरनाह ।। स्थावसि स्पावसि उरई वाले हमका नीकि दीन सल्लाह ६६ विदा मांगिकै पृथीराज सों तम्बुन फेरि पहूंचा आय ।। हाल बतायो परिमालिक को चेन करी पिथौराराय७ जैसे पियासा पानी पावै सूखे धान परै जस नीर ॥ बात सुनिके ये माहिल की तैसे श्राय गयो मनधीर ६८ घड़ा मँगायो ह्याँ पिरथी ने तामें जहर दीन डरवाय ।। चारो नेगिन को बुलवायो सूरज पूत लीन वुलवाय ६६ कह्यो हकीकति सब सूरज सों पिरथी बार वार समुझाय ।। तुरत कहारन को खुलवायो सूरज घड़ा लीन उठवाय १०० माथनायक फिरि पिरथी को मनमें श्रीगणेश पद ध्याय ।। सूरज चलिभा फिरि दिल्ली सों लश्कर तुरत पहूंचा पाय १०१ जहना तम्बू परिमालिक का वहिंगी तहाँ दीन घरवाय ॥ माथ नायक परिमालिक को आपो वैठिगयो तहँ जाय १०२ मलखे बैठे है दहिने पर बायें बैठे उदयसिंहराय ॥ बैठ बरावर आल्हा ठाकुर शोभाकही बूत ना जाय १०३ सूरज बोले तहँ - राजा सों शवंत आप देउ बँटवाय ।। करो तयारी फिरि द्वारे की साइतिआयगईनगच्याय १०४ देवा बोला महराजा सों मानो कही चंदेलो राय ।।