यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

ब्रह्माका विवाह । २१७ हाथ जोरिकै महराजा को सब वारीके कहे हवाल ६६ मुनिक वाते द्वारपाल की. यहु महराज पिथौराराय ।। सूरज लड़िका को बुलवायो औ सवहाल कयोसमुझाय७० पकरिकै लावो त्यहि बारी को हमको बेगि दिखावो आय ।। सुनिकै बातें महराजा की सूरज चलिभाशीशनवाय ७१ दीख दुबारेपर वारी को नाहर घोड़े पर असवार ।। शंका जाके कछु नाहीं है हाथ म लिये नॉगि तलवार ७२ हुकुम लगावा द्वारपाल को फाटक बंद लेउ करवाय ।। फिरि ल्यलकारा रजपूतन को लावो पकरि शूरमों जाय ७३ हुकुम पायकै तब सूरज को तुरते चले सिपाही धाय ॥ गुड़ लगायो हरनागर के टापन क्षत्री दीन गिराय ७४ बहुतन मारयो रूपनवारी हाहाकार शब्द गा छाय ।। देखि तमाशा सूरज ठाकुर मनमाँ बार बार पछिताय ७५ रूपनबारी के मुर्चा माँ कोऊ शूर न रोक पायें ।। उड़न बछेड़ा हरनागर ने बहुतक क्षत्री दीन गिराय ७६ फिरि फिरि मार औ ललकार बारी बड़ा लडैया ज्यान ।। देखि तमाशा यहुबारी का ताहर समरधनी चौहान ७७ सूरज ताहर दउ शहजादे रूपन पास पहूंचे जाय ॥ एँड लगायो हरनागर के फाटकपारनिकरिगा माय ७८ मारो मारो हल्ला कैकै क्षत्री सबै चले विरझाय ॥ नेग लेब अब हम भौंरिन में गर्मीई हाँक दीन गुहराय ७६ इतना कहिकै ऍड़ लगायो फौजन तुरत पहूंचा आय।। जेसे फागुन फगुई खेलें लोहू छीटन गयो अन्हाय ८० तेसे दीख्यो जब रूपन का बोल्यो उदयसिंह सरदार ।।