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थाल्हखण्ड। २०२ सुनिक बातें ई मलखे की ताहर हाल गयो सवगाय॥ मलखे बोले फिरि ताहर सों लड़िका तुम्हें देय बतलाय ४८ .. संग हमारे कछु दूरी तुम औरो चलो बीरचौहान ।। इतना सुनिकै दूनों चलिभे मोहवे गये तीनहू ज्वान ४६ चाहर बोले तहँ मलखे ते यहुहै कौन शहर मलखान ।। मलखे बोले तह ताहर सों यह नगर मोहोबा ज्यान ५० यहँको राजा परिमालिक है ब्रह्मा लड़िका तासु कुँवार ॥ तोरी बहिनी सों त्यहि च्याहाँ साँची बात मानु सरदार ५१ सुनिक बातें ये मलखे की ताहर बहुत गयो शर्माय ॥ ऐसी बाते का तुम बोले न्याह न करें बनाफरराय ५२ नहीं आज्ञा दिल्लीपति के टीका नगर गोहोवे जाय ॥ सरवरि हमरी का नाहीं हैं ठाकुर काह गयो बौराय ५३ . सुनिक बात ये ताहर की' बोला बचन बीर मलखान धॉसि सिरोही मुंहमें देवों जोफिरि ऐस कह चौहान ५४ इतनी मुनिक ताहर ठाकुर पाती तुरत दीन पकरायः॥ मूड़ कटाई सो ब्याहे माँ नाहर जौन पिथौराराय ५५ ताका वाना जग मर्दाना । मारे शब्द ताकिकै वान॥ वा सँग कौन लड़ेया ज्वान ५६ सुनिक बातें ये ताहर की बोला तुरत बनाफरराय ।। लड़े मरेका कछु डर नाही यहही धर्म सनातन भाय ५७ रीछ वाँदरन सँग में लैके लङ्का विजय कीन भगवान ।। बालन वालन सँगमा लेक कंसै हना कृष्ण बलवान 45 काह हकीकति है दिल्ली के चलिक विल्ली देउँ बनाय॥ परि स्वरभिल्ली दिल्ली जाई किल्ली तुरतै देउ नवाय ५९ पर निशाना पूरशब्द पर