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मलखानका विवाह । १६५ कंचुकि ओ क्षुद्रालि कंकण कुसुमित अम्बर चन्दन धारी।। खायकै पनि औ धारिमणीनको होर औ नूपुरकी झनकारी। सेंदुरै भाल बिशाललखे ललिते मनलज्जित मन्मथनारी१०४ ग्वरिवरिबहियाँ हरिहरिचुरियाँ सो मनिहारिनि दी पहिराय ।। पहिरि मुंदरियाँ अठो अंगुरियाँ ऊपर छल्ला लये दबाय १०५ पहिरि आरसी ली अंगुठा में सीसा उपर तासु के भाय । अगे अगेला पिछे पछेला बीचम छन्न रही दर्शाय १०६ टाड़ें पहिरी सोने वाली जोसन पट्टी करें बहार ॥ दुलरी तिलरी पंचलरीलों तापर परा मोतियन हार १०७ नथुनी लटकन की शोभाअति फानन करनफूल शृङ्गार ।। नारै गुज्झी उकानन में बँदियाँ मस्तक करें वहार १०८ विछिया पहिरी पद अँगुरिन में 'अनवट सखी दीन पहिराय ।। कड़ाके ऊपर छड़ा विराज तापर पायजेय हहराग १०६ लहँगा पहिरयो कीनखाव को चादर ओदिलीन फिरिभाय । जैसे बादल विजुली चमके तसगजमोतिनिपरैदिवाय११० तहिले राजा फिरि आवत भे औ रानी सों को सुनाय ।। विदा कि विरिया अब आई है जल्दी बेटी देउ पठाय १११ सुनिकै बातें ये राजा की रानी बेटी लीन बन्लाय ! सीतामाता अनुसूया की सबियाँ कथाकहीसमुझाय ११२ कहा न मानै जो पूरुप को नारी घोर नर्क को जाय ।। चोर कुकर्मी जो पतिहोवे सेवा किहे नारि तरिजाय ११३ बिनाएराधै नारी त्याग सो पति मेरै भूखके घाय ।। ऐसे कहिके गजमोतिनि सों माता रोई हृदय लगाय ११५