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मलखानका विवाह । १८३ कैसे आयो तुम पथरीगढ़ हम को हाल देउ बतलाय ॥ बातें सुनिके ये ऊदन की इन्दल यथातथ्य गा गाय १४४ गा हरिकारा पथरीगढ़ ते मुन्नागढ़े पहूँचा जाय ॥ दीख तमाशा जो फौजन का राजै हाल दीन बतलाय १४५ सुनिक बातें हरिकारा की सूरजमल का लीन बुलाय॥ कही हकीकति सब सूरजते जल्दी हुकुमदीनफरमाय १४६ हुकुम पायकै महराजा को डंका तुरत दीन बजवाय ।। हाथी घोड़ा औं स्थ सजिगे पैदर सजे शूर समुदाय १४७ जितनी फौजें रहैं अन्नागढ़ सबियाँ बेगि भई तय्यार ।। हथी चढ़ेया हाथी चढ़िगे बांके घोड़न भे असवार १४८ 'रणकी मौहरि बाजन लागी रणका होन लाग व्यवहार ॥ दादी करखा बोलन लागे विपन कीन वेद उच्चार १४६ कूचको डंा बाजन लाग्यो घूमन लाग्यो लाल निशान।। फौजे चलिके अन्नागढ़ ते पहुंचीं समरभूमि मैदान १५० धूलि देखिके आसमान में भारी देखि गर्द गुब्बार॥ बोल्यो फौजन में त्यहि समया ठाकुर बेंदुलको असवार १५१ फौजे आई गजराजाकी भारी अंधकार गा छाय ॥ जल्दी सजिकै ओ रणबाघो तुमहूं कूच देव करवाय १५२ वात सुनिक बघऊदन की सबियाँ फौज भई तय्यार ।। झीलमबखनस्पहिरिसिपाहिन हाथ मलई दाल तलवार १५३ पहिल नगाड़ा में जिनबंदी दुसरे फांदि भये असवार ।। तिसर नगाड़ा के वाजत खन चलिमे सबै शूर सरदार १५४ पहिले मारुइ भई तोपन की दूसरि भई तीरकी मार ।। तीसरि मारद बंदूखन की चौथे चलनलागितलवार १५५ 4