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३४ आल्हखण्ड। १५० युक्ति बतावो अब तुमही म्बहिं जासों धर्म रहै यहिकाल । सुनवाँ ब्याही फिरि जावैना औ मरिजायँ दुष्ट ततकाल ६१ सुनिक बातें नयपाली की माहिल बोले वचन उदार ॥ बाना तजिकै रजपूती का अब धरि देव ढाल तलवार ६२ नाई बारी सँगमें लैक पायन परोजाय ततकाल । जो कछु बोलें सो कछु मान्यो मड़ये तरे लैआवो हाल ६३ घरमें लैकै चारो भाई चारो भाई मारो नृपति आय ततकाल ॥ इतना कहिकै माहिल चलिमे आदरकीन बहुत नरपाल ६४ भुजा उखारी गई अभई की माहिल हृदय परी सो शाल । ॥ लड़े मिडैकी सरवरि नाहीं निन्दाकरत फिर सबकाल ९५ जैसे राजे भानुप्रतापी मारयो रहै तपस्वी ज्यान ।। यह है गाथा बालकाण्ड में तुलसी राम समर मैदान ६६ तैसे ऊदनके मरिवेमें माहिल चुगुल बने सबदार ॥ धर्मसे निन्दा नहिं माहिलकी या दिहे शास्त्र अधिकार ६७ औरो गाथा कहु पुराणकी यामें आनि घटावों जान ।। पै नहिं समया यहि समया में ऐसी परी व्यवस्था आन माहिल पहुंचे फिरि तम्बुनमें राजै नेगी लीन बुलाय ॥ जहँना तम्बू रहे आल्हा का राजा वहाँ पहूँचे जाय ६६ बड़े प्यार सों राजै लीन्यो आल्हा वैठिगये हर्षाय ।। मलखे बोले तब राजाते आपन हालदेउ बतलाय १०० कौने मतलब को आयो है सो हम करें चारिहू भाय॥ सुनिक बात मलखाने की राजा बोले वचन बनाय १०१ हसी म्बुशी सों सुनवॉ व्याहै हमरे मनै गई यह आय॥ स्यारन हँसीकिये का भाय १०२ सिंहन घर में कन्या व्याही