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६ शाल्हखगड । १२२ जालिम राजा नयपाली है ज्यहिघर अमरढोल सरदार २७ कौन वियाहन त्यहि घर जैहै ऐहै लौटि कौन बलवान ।। टीका फेरो सब राजन ने मानो कही वीर मलखान ४८ सवैया ॥ शान चढ़ी मलखान के ऊपर आन नहीं कछुहू नृप राखी । मोहिं पियार न प्राण भुवार कहाँ मैं सत्य सदाशिव साखी ॥ कीरतिही प्रिय बीरनको हम शान कि आन सदा मनमाखी। आनरहैनहिं शान कि जो मरिजान भलो ललिते हम भाखी ४६ इतना कहिके मलखाने ने डंका तुस्त दीन बजवाय ॥ लिखिके उत्तर उदयसिंहने सुवना गरे दीन लटकाय ५० उडिकै सुवना फिरि मोहवे ते सुनवाँ पास पहूंचा आय॥ रानी मल्हना के महलन में राजा तुरत पहूंचे जाय ५१ हाल बतायो सव मल्हना को सुनते गई सनाकाखाय ॥ मलखे देवा को बुलवायो सुनते-गये महल में आय ५२ मल्हना बोली तब भलखे ते बेटा हाल देउ बतलाय ॥ काहे डंका तुम्हरे बाजे कहँ चदिजाउ बनाफरराय ५३ हाथ जोरिक मलखे वोले मल्हना चरणन शीश नवाय॥ पाती आई नागद" की आल्हा तहाँ वियाहनजायँ ५४ सुनिक बात मलखाने की मल्हनै देवै कहा सुनाय॥ शकुन तुम्हारे सों मलखाने माड़ो लीन बाप का दायँ ५५ कैसी गुजरी नैनागढ़ में सो सब हाल देव बतलाय॥ सुनिक बातें ये मल्हना बुध देवा पोथी लीन मँगाय ५६ लेकै पोथी ज्योतिष वानी औं सब हाल दीन बतलाय॥ हैहै साँची बात कह हम माय ५७ जीति तुम्हारी .