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आल्हाका विवाह । १२१ लिखी हकीकत सब आल्हाको सुनवाँ बारबार समुझाय ३५ नामी ठाकुर तुम मोहबे में हमरो ब्याह करो अब आय ॥ नहिं मरिजायो जहर खायकै दूनों भाइ बनाफरराय ३६ लिखिकै पाती गल सुवनाके सुनवाँ तुरत दीन लटकाय ।। मूठी दीन्यो फिरि कोठे ते सुवना चला मोहोबे जाय ३७ चन्दन बगिया सुवना पहुँच्यो तहँ पर रहँ उदयसिंहराय ।। चन्दन ऊपर सुवना बैठो परिगा दृष्टि तुरतही आय ३८ भल चुचकालो उदयसिंहने आपन नाम दीन बतलाय ।। सुवना बैठ्यो तब हाथेपर पाती छोरि लीन हर्षाय ३६ बांचिकै पाती तब ऊदन ने औ सय्यद को दीन सुनाय ।। सय्यद आल्हासों बतलायो मलखे देवे दीन बताय ४० लैकै पाती औ सुवना को गे परिमाल कचहरी धाय ।। कही हकीकति सब राजा सों पाती दीन उदयसिंहराय ४१ पढिकै पाती को परिमालिक मनमाँ गये सनाकाखाय ।। होश उड़ान्यो परिमालिक का मुहँका बिरागयो कुम्हिनाय४२ बोलिन आवा परिमालिक सों औ द्वादालों लार सुखाय ।। थर थर थर थर देही कॉपी शिरसों मुकुटगिरा भहराय ४३ रोम रोम सब ठाढ़े द्वैगे नैनन बही आँसु की धार ।। धीरजधरिक परिमालिक फिरि औ मलखेतन रहे निहारि ४४ मलखे बोले तब राजा ते साँचे बचन सुनो नरपाल ।। टीका पठयो है बेटी ने सोनहिलौटिसकैक्यहुकाल ४५ - मुनिक बातें मलखाने की बोले तुरत रजापरिमाल ।। न्याधि नशायो गढमाड़ो की दूसरि ब्याधिभयोफिरिहाल ४६ दीका फेरो नयनागढ़ को मलखे मानो कही इमार ।। .