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माडोका युद्ध । १०५ किला गरेरें अब लोहागढ़ लश्कर कूच देय करवाय २० पांचो मिलिकै सम्मत करिके डंका तुरत दीन बजवाय॥ घोड़ वेंदुला ऊदन बैठे मलखे चढ़े कबुतरी जाय २१ घोड़ मनोहर पर देवा है सय्यद सिरगा पर असवार ।। आल्हा बैठे पचशब्दा पर सुमिरिकैदेव मोहोवे क्यार २२ कूच करायो बबुरीबनते लोहा गढ़े पहूंचे जाय ॥ तोप लगायो तहँ फाटक पर बत्ती तुरत दीन करवाय २३ फाटक गाँसा जम्दै दीख्यो रानी महल पहुंचा जाय ॥ चारो पुत्रन के सुधि करिकै रोवनलाग तहां पर आय २४ बंश बूडिगा म्बर पापी का मेरो काल रहा नगन्याय ॥ बड़ो लडैया सब शूरन में आल्हाकेर लहुरखाभाय २५ म्वहिं भय आई त्यहि ऊदनते ताते प्राण मोर घबड़ाय ।। । मुनिकै बातें ये राजाकी बिजमाबोली वचन सुनाय २६ करिक जादू मैं ऊदनको राखों झारखण्ड में जाय ॥ इतनाकहिके चली विजैसिनि लश्कर तुरत पहूंची आय २७ डाखो गुटका मुखभीतर माँ जासों नजरबन्द द्वैजाय॥ मायब हैकै तहँ पर पहुँची जहँ पर रहे लहुरवाभाय २८ नारसिंह औ भैरों वाली तीसर जौन महमदा वीर ।। पुरिया डारी तहँ जादू की हगे सबै बीर आधीर २९ डारि मशान दयो लश्कर में नाही मसा तलक भन्नाय ॥ जादू मारी बंगाले की ऊदन मेदा लयो बनाय ३० लैकै मेढ़ा विजमाँ चलिभै पहुँची झारखण्ड में आय ॥ गुरू झिलमिलाकी मढ़ियामाँ मेढ़ा बँधा विजेसिनिजाय ३१ • हाथ जोरिक गुरुवाबा के औ सब हाल दील समुझाय॥