यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

माढोका युद्ध । १०१ ५३ नालति त्यहिकी रजपूती का पैदा होने का धिक्कार ।। सनमुख बैरी जो मार ना रणमाँ लागें प्राणपियार ११४ सुनिके बातें रजपूतनकी दोऊ लड़न लाग सरदार ॥ मलखे करिया का मुर्चा है दोऊ विषधर बड़े जुझार ११५ करिया ठाकुर माडोवाला गरुई हांक देय ललकार ।। सँभरिक बैठो अब घोड़े पर ठाकुर मोहवे के सरदार ११६ इतना कहिके करिया ठाकुर तुरतै ऐचिलीन तलवार ॥ बँचि के मारा मलखाने को मलखे लीन ढालपर वार ११७ दाल छूटिंगै मलखाने के दूनों हाथ गही तलवार ।। ताकिकै मारा फिरि करिया को काटिकैगलानिकलिगैपार११८ जूझिग करिया माडोवाला फौजै रोई छाँड़ि डिंडकार ॥ चोड़ बेंदुला की पीठी सों फाँदा उदयसिंह सरदार ११६ मूड पकरिके सो करिया को धड़ते डारा तुरत उखार ।। आल्हा ऊदन मलखे देवा सय्यद बनरस का सरदार १२० पांचो मिलिकै गे तम्बू में जहँपर रहै दिवलदे माय ॥ हाल बतायो सब द्यावलि को करियाशीशदीनदिखलाय१२१ शीश देखिकै त्यहि करिया को भइ मन खुशी देवलदे माय ।। बड़ी बड़ाई की सय्यद की “तुम्हरीदया जीति भै आय १२२ । बड़ी सहाई की लरिकन की धर्मसों देवर लगो हमार ।। । सखा तुम्हारे की नारीहन सय्यद वनरस के सरदार १२३ । कियो सहाई जस हमरी है तेसै भला करी कर्त्तार ।। - सय्यद बोले तब द्यावलिते सांची मानो कही हमार १२४ , खुदा सहाई सब दुनियाँ का बिसमिल भलाकरें सबक्यार॥ न बार न बांका इनका जाई अल्ला धर्म निवाइन हार १२५