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१२३ पिपरीत वएन [ २६७ 3 रानि समै रनिनायक जू सुखदायक. सेज. सुदेश, निवासी यानंद फंदश्रमोद.मा पोपि पियारति फेलि कला सो विस्तामी प्रात भये अहसाने लला सरसानी -अली रस लेत हुलासी यात सनेह,सुगन्ध भयो मिलि तीय तिली पिय फूल निवासी [२६ ] रति रीति यितै रमनी झुकि के रिस नै कर्ग:अध्र ऊरध मोहे 'आनमा भूपन धारि सुधारि कसे कुच.फंचुकि फेरि पिछहि कर ऊपर सरि मंडि नासा मुकुताहल के गजरा: छघि साह घेरि मनो उड़पुंजनि लै. सरसारुह पानि कर ससि सोह [ २६६ ] रनि नसों कामिनि पान समै रसही बस में सुखसैन समै करि मदनगनल पीर सरीरमई तन में कृषि बालम बालसता भरि पिय पानि कुचर दंतिय के झलके नख मंजुल जोति जगै धरि संभुःके सीस सरोगह के दल छोरनि मानहु-श्रोस रहो दरि [ ३०० ] रतिदानुदिये अयला बिगसी भ्रकुटी करि यंक सगसन:सी कवि 'श्रालम' कुंतल चाफ छुटे कहुँ कुंकुम अंकित: हैकन सी मनट ले चलि येसरि नानिक के अरुझै झन भूम चले बनसी मिलि फै फच पुंजनि लाल चुनी चमकै घन में :परयोजन:सो . . 4 . १-एनन% जुगुर। .