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- रामलीला
थोरन बिछोह पार छोरिछारि डारी, ही सु,
- झारो नहीं जाटनु अजहुँ. तक, तैसी, है।
' 'पालमपरीक, घर पैठे नहीं तच. ही ते .
- चंठे-यन तन: तपसी की...गति.. तैसी है।
पोरे पोरे पात खात पात ही से पोरे भये, पीर रघुयोर जू"तिहारी कछु ऐसी है। राज कैसो राज और स्वारथ को ग्राजु लगि, , __ भरथ न देखी सु ;अजोध्या फिरि कैसी है ॥२६॥ दुसह दुसारो सब. नेमनि ते न्यारो जिदि, .. • • • पेम पथ आये, सीस., पग हैदरतु है। राते किये, वाते सुनि ताते सहि जात नहीं, लोह. भरे घाइ- ताते लोहे ,सो लरतु है। • कं जासो.कालचाल झंपै. तेसो फठिन है, ., कपन दियोगी जु., उसाँसनि भातु. है। ऐसो काह. करै तकसीर करवत ,लीयो, . ... . ; जैसो और विरही, सौ यिरह करतु है ॥२६७॥ नैना नीर धोइ :हास्यो -लोह - सब: रोहताते, १, .: रोहा के भूरो या लोहून, लक्ष्तु है। 'श्रालमा न. आवे यात पोरे, मुख-सीरे गात, .." तातो; हियो रातो; करि.. सूलहि सहतु है । .. mamminimirmirmirmir.m - सकतीर-राधी २-करयत लीवो-भारे से सिर कटवाना। .