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{{|आलम-केलि||१०६}}

थालम-फेलि " 'सेख । भनि तहाँ मेरे निभुवनं गय है जु, दोनयन्धु स्वामी सुरपंतिन को पति है। पैरी को न चैरु परियाई, को: नपरधेस; ) होने को हटक नाही छीने को सकति है । हाथी की हँकार पल पाछे पहुँचन. पावै ।' 'चीटी की चिधार पहिले ही पहुँचति है ॥५०॥ राम किसी भाँति भजि रावन की रीति तजि, त्रेता ही ते तेरो दिन नीके जिय जानिले । सेख भनि वापर: यहाऊँ कोटि द्वापरखें, ___ स्वारथ निवारि परमारथ को बानि ले । सोई दिन:सोई रैन :सोई ससिसूर गैना : 1 फरु नीको नाम सोई समया में आनि लें । कलजुग तौ पै जौ त कलि के फलेसामान, सति भाखिांसत लिये. सतजुग मानि लै ॥२५१। सीता सत रखवारे, तारा हु के; गुन तारे, ... तेरेहेत गौतम की तिरिया ऊं तरी है। हो हैं दीनानाथ ही अनाथ पति साथ 'विनु, सुनन अनाथनि के नाथ सुधि करी है । डोले सुर आसन दुसासन की ओर देखि, :. : अंचल. के ऐचत । उधारी औरै..घरी है । mmmmmmmm १-जैन -गति, चाल ।