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आलम-फेलिT पवन पियारे ऐसे ..कहियो सुनाय अध, हम अचला हैं कैसे धरें - जीय धीर जू। . पल पल प्रान ये तपत पिय पास को सु, पालो पेम सहि न सकति पल.' पीर जू ॥२४॥ सघन 'अखंड पूरि पंकज पराग पत्र, अच्छर मधुप शब्द घंटा झहनातु है। चिरमि चलत फूली, बेलिनि की घास रस, मुख के सँदेसे लेत सबनि 'सुहातु है। 'सेन" कहि सोरे, सरबरनि केसोर तौर, १ । पीवत, न नीर:"परसे ते सियरातु है। श्रावन बसन्त मन भावन घने , जतन, . '. पवन परेवा मानो पाती लीने जातु है ॥२४२॥ फेसा दल डोले मूल मंद मंदाकिनी कूल, . एला फूल. वेला की सुयात घर: यासी है। • सरद की सांझ.'भई · सीरी लागे सोय गई, साजन सहेट' भटि उठति उदासी है। मालती को मिलि जय मलय कुमार पाये, रेवा रस रोमनि 'जगाय नोंद नासी है। सखिना मुहेल घर दच्छिन समीर यह यौ पुरवैया घरी वैरिनि यिसासी है ॥२४३॥ १-हेट संकेतस्थल। M