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मोर मीरखुमन्हा रखने बहुल-सी तो दसवाई और अपनी सेना में अनियन्त्रित किया समाभपा मिले पर अरिपर र लिया। हाय री गरीय पुर्यम दुर्ग भी बीत लिया। उसके सेनापति बप पर पर करते हुए अट उचर में तिरूपति और चमगिरि र बदते पो गए। उनमे बीऐष बबने पता लगाया और सूट सिमान विषयों से उसके पास पर तमसि एकत्र हो गई और उसने अपनी कारकीचागीर को एक साल पम्प में परिसर लिपा, पोर अपने स्वामी से पूर्ववमा सवल होकर सचमुप रिका पादणा बन बैठा। इन सबसे उपर एक बात सादी दिशार गोशाकुरण की एक बेगम की पारनाई हो गई पी और मा मुम्दी इस पर बान मास बार बुध पी। पोरे-धीरे यार मालपमेये सब बा मालूम होने लगी। मतको इस पदवी पर उसके बहुत से पुरमन दरबार मे वरम्न हो गए । उन सबने मी पागार के कान मरे। अपनी बेगमपा विसे गुप्त प्रेम मी सादगार पर प्रकट रोगरा, फसवायला पानी रमन हो गया। परम्न र सभी सा बहुत बद गई थी। शा सरसे मप जाने लगा था। कर मी पर उसे ना पर रेमे विम्ता में समा ही हवा पाती बीप और बादिपाव परना हो गई। मीरनुमता पुत्र मुहम्मद अमीन कई वर्ग से मीरमाना का प्रतिनिधि पार गबन मा भ्रम परतावा- पर सुलेमाम दरर में भी उनवान परम प्रदर परता था। एक दिन महसूप सराव पीर नगे मे सरावामा पार में भाग और पुर गुरवान यदी पर पारा और करे गौर रिय} इस राव से पार गमपुरा पती गुस्मरा गया।