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प्रासमपीर गावी जाने विचार उसने स्याग दिया। पारेलरकि बाबाती मोरे नही पाता उतरे मन भटमनिह गया और उसमे प्रब अपमे दूषमा मारबाबा की अधीनता में पाठ पगार बार उसन पीका रमे छोरे और पास शीवा से प्रागरे की प्रारतीय। इस समम प्रने निम्ताएँ उसके मन में उठ रही थी। बरसोग या पा, उसकी गैयाचिरी में न बामे पानी में सा संभव पनि पोर बसवन्तसि बारशार देर से हुए, या मुसवान गुबाही प्रागरे पर पद पाए । उसे इस बात की सूचनाएं मिलती पीकिशुमा निरन्तर सेनाएं मार रहा है। उसे यह मी मा पा किमी मुलेमान शिकोही श्रीनगर के पबाकी सेना सेर पहाड़ों से न उसर परे। सदाबी मोतिपर अपनी सेना से पार पोत मागे मागे पस सापामार से चुने हुए सैनिक और सरदार उसके साथ थे। अभी हार पुष अन्तर पर था। बरलाऔर शीम-से-सीम पहुँगना चाहता पा। इसी समय उसने देखा-साराम बमसिंह पार पावरमार पीर गोसामोरे बाप उसकी भोर देगा। पापार भय से सिहर उठा। बाबा में प्रसव सतरनाक विवि में पा गया था। पसिन पाद से प्रेमी नये, बर मया कि परिस समय महागलपसिबो गायों के परम मक है, उसे द कर दो लोगों का अनुमान गरि बाम्बर में सोच प्रौरंगको परमे 12 सिए पाए थे। परन्तु प्रौरंगवेब मे प्रसीम भ परिषमरिमा । बा दूर से ही पड़ा माता मा और परिमावा भा, प्रतपा मार war मा प्रापे पदा-और पास पहुँचम हा- 'हामत पाएद गमाबी, सामव वायर माग बी, सुपाम बामदीद । मैं मान नही सकता कि मुझे माप मामेभ भर इम्वधर वा। पावती मामा किमारमा भए। अब