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t पानमगीर श्री एकविता मीनापरीके मदरों में मुदी हुई थी। कविता शेष वीन राम् पे-पोरम राणाधारिस, अर्थात् न्यायपराय राजाधिराबसिंहान्न। मनापेठनको बाम सिंहावन बनाने मसातो को खरीदने में एकरोड रुपया वर्षमा था । विपके महा रगों से निर्मित माप्रमविम साव को पपे माय का सिंहासन पास्तव में प्राप्मीयो कर से निर्मित दुपा था। भाष पाली पारी बारगार क्षामत इस प्रयोपिक सिमान पर बेठम दरगर करने वाले पे। समतौफिक तस्वरेसने के लिए चोटे-बरे सब योग परत उस्क। वस्व पर दीन मसनद निहायत नर्म मसमस पोथे। एक या दो पाँच पाशिरव गोल था, यह पादचारी पीठ के सहारे के लिए था। दो गोश और ये वो दोनों पाइपों में रहे थे। नीचे एक पति पामस्म पाई पर परपोषी प्रम की मदो विधी पी। वस्व प-मिई एक कमरे पातले पर पापा मनारी अंगमा वा मित्त या गाबादे दी प सकते थे। इसीरपान पर वे लोग तमीमाव बचपरता नौ बरे हो सपते । तम्त पीये बहुत से पावर गुलाम बाक, कवरिपणे, पीकपान, म, पानदान, वमबार, पौरी पारि लिये मुस्वेद सरे। समय से मीपे पोर पोर मेयो समयमो लिए बह पी को एक पहले यरे से भिरी थी। अमीर और बबीर अपनी बगा पर अपचाप मारी-मारी करे पाने मीपे सिर मुभए मोर पोनों बाप शानियों पर रखे सो । योसोर गुपदार सोय मुस्तैद थे। उनके दापों में मुनहरे गुर्व मे, वे बड़ी वा से शादी माधम शारों, पानी और सिपालाचारी तक पहुँचाए । इससे पा सम पीदे हर सा स्थान था, परी पौष प्रवर