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प्रामगीर चाईए पॉफ्नाह, प्राव पवनी भी मोर दारापी रिम सहा होना" मुराद देर सके की हालत में बनाया। और उसे मालिंगन किया-पेणानी पूमी और भा--"दाहाफिय!" मुगद पुरंबाप सीमे से निकल गया। और देर तर उसकी भोर रेलता रहा। फिर उसने एकदम पसरवर मीरवाया मोर रेखा-सपारसरमौकपा में दिसावे हुए कहा-

  • कार तुम बहुत पर गए होगे-मपर माई पन, भाव नम कई

पाराम न करमे पायोगे | पाम्रो कामनी में बगावर पाय पसरा दो, सिपाहियों से प्रो-गरेशियों मनाएं, गाएँ, पाएँ, मौषम " फिर धीरे से उसमापवरहा-"विससे दुश्मन समझे, कि मारा सरर मौव बहार में मस्त है। पामो माईचान, अपना 'मको मीरपाषा मे पा-बादा है मगर भाप पर तो पापम श्रीमिए" "पाराम, नही नहीं, मुझे भाव यत पर पव- विधियों fritt चौर पर फिर अपने जीमे में घर उपर देवीगनेगा। पीरबापा कुपरेर ठसे रेशवा बार बीरे परिया। पौरपा मै अपने सीमे में मुझेर पहरे बैठा दिए और बहरी भिसने हंगा। चम्म के पार पौलपुर पप, चम्म गरे यह पार कर पा उनपर मवत पौध गरं दारा पर साधा। उधरम विना मोरगाने की बात पा रोक देने का मा, पित