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भामगार ने मुगलों में महिमायती गमशन दिली और मुगरा सम्राट बीमा सरार उसी मारवाहीनता सिद्ध कर दी। औरंगमय निरि, मालती मोर म्पसनी न 11 मानाम ज्या प्रसिद्ध थी। पर गम्भीर मनम और गरीनगन से रामधन रेलता था। मानवीय ज्ञान उस सम्पूर्ण था। मुर और यूटनीति ममी पर विशारद दर मी इस पर बादशाह के पचास वर्ष गासन का परिणाम निस्सा प्रसस्यता-मयाम्पि-पवन || मर गगनवित पम्प भारतीय पबनीति और इतिहास विद्यार्थी केलिये मनन कामे मोग। औरंगाबीपनी २८ ऐसे भाग्य दीन मनुणीचीवनी बीपन भर निपुर माग्प के साप नावा और पाभियावा या उसके पास पठार शामन अव पोर प्रतरणता में हुा । उनले श्रीमन के माम चालीस वर्ष इस महान् तामाग्य मोपतम मग्रार बनने पाप मारमशिक्षण में बीते ! एक वर्ष वएत-चाउन के लिए कठिन पुर में गीता में उसी सारी राधियोनी पीवाई। मपि शासन पारमित वर्ष शान्य और समय पीत हुए। उपर भारत की गयमानियों में गट मे गा। ग्रेस यनर थे। उनके सवईयासन के सप्त पर मारत परिणाम सामाम्प-NE पागापापन पाय बदर ५ पोर या मागा बागाति और ऐपमा सिर पर पर गया था। पर मुगल सून का प्रमात्र दो उस दुभाग्य बन गया मार वी पुर मुरम्म चार उमादारीमा म भिAT शाहबारे मे मगम पापी शरण तो धारमा पारंगरविण तीर ले गया। माँ उसो १६१ पती हुए | सामाग्य का