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माझमगीर अगी। पर उसमे उनी परमार की परेशावादी पाठ -सपी गई। सने महाबोधने पहुक्म रिण। मवजय सरका पूरा हो गरा था। नादिय बीपी वाचावी मानवी पाये बचानवी पी। बेस माग गई। याबादी प्रोसी य गई। मौसी होने पर उसनेमा- "शाबादी, भाप गरियाबह दी और सत्वनत में बमारव भाग मामा वाइटी है। 'शाबादी ने अपनी गुड़िया की गोद में उसावे ए वो मm "ए, पायाचंग भने लिए मागरेचा "इसे पा रोगा। प्राधासभर परेशान होने समास "ए शायरी, उनम पार भागरे बाना निहायत बसपा "इस शिरव गर्मी में " "मी गीको "रात ही तो ठपी, दिन में मुई माग बरसती है, ममा डर श्रीपामत पाश्वर मंगे "योगी, अगर हम पर उनकमा करना है म उच परित पाना पड़ेगा। परत tोग भी रनी पड़ेगी।" "वोगा तौबा, बग भी।" "वाक्पा याबादी समझती है-वम् याही यो मिज्ञ भावगा, भाप बामवी किवाचापी ऐयमनाप ने परत याबारा को मुह "तो मैंमा "प्राप मीणावादी रोगनपागा मिसे।" "पपा उनमेव सिसा H "परत गावाव मिहा।