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मुग वारगमग सब खा बाप तो पापना हो म न पारिन सिप दोस्त और न किसानु। इन समाम शबरों से एबपानी में प्रम्पेर मच गरा था, और भादगार रोपी और कमबोर होमे पर मो मागयचा पसाभामरे माम दाय मे पेशुमार पोय मरवी करना शुरू करो वा पायरा और रेश नपर परम्प नाम अपने पास में से लियास साम्ब में उसने बादशाह के हुक्म की भी परवाह मही। उसे रामा और घमापा भी। इससे बादशाह बहुत मव मीठ और पश्चि हो गया। प्ररमा रोगी, अमुक और दा मापसार पतिदय अपने प्पारे पुषगरा पर शकरके या भप रने लगा कि श्री मुमे विप रेकर मार गो पारना। विद्रोहियों के अनेक पत्र और परम्प राय मे प्रकार के पार शार को दिखाए । मेगम पर्याभारा मे मी पावसाय-पैर मारे पर पाया aur गया । उसे किस पर मरोहा करना चाहिए भीमा नहीं सोब समान सब सुमित्रानो परम पावणारी बीमारी और मोती मी पद यो । परन्तु उसने दैनिक परमार मना नही छोड़ा । दूर-दूर शाकिमो अपनी पत्ती और जिम्दा यने के परचे मिना रिए। ती प्रभर प रसमे अपने उन पुत्रों के पाच मी मिववार को लिए भामरेभोर पर। पर मारधार एक ऐसारी पर शुबा प्रेमिका वो उसनेबदार मेदशाह को लिखा-"मुझे बनानेवाला मामवी पर यकीन मौर खिर बिदा भार सलामत होममोठी हातिम परये और पदय मरम से एक होने में मुसी समग प्रभा बरामेमावि तो माइ मे मी भी। का परिवाम पाएमा म सुवेभाम भने सगे हम वहार ही पापे माइयों की सिमोन विमा परेगी। परन्तु इस पुर में पर दोही मावी-पाको बरामद। उपर इस मापी नही ग्राम