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१.२ प्राममापीर पाली पार मिहे पे बना पावे-मते समगमकी मोमो से घामयों की बार पाने मगी-उसकी सास बोर-जोर से चलमे छगी और उसघ सारा शरीर पर परपमे गया। 5वस्था र उतने मा-"बारे में पारिन पारमैने अपने मेहदी से रंगे हाय तुमारे सुपुर्द किए थे, अपना बनाया था, और तुमने मुझे अपनाकर निशसमिया मामलोग विना न्वे मे, इनिय सिक्नी मीठी क्षगठी थी, दिन मे मुसाबने , बरेया पमश्या था, यस देसी कुष्ठी थी गवसे राती थी, पर पूत पर पर निग को बना देता था, हम सोग पावें करते थे, दिवे पे, स्टचे पे, पार करते थे, बरवे पे, फिर एक हो बावे ये, माह। इसनी पाही ये सब दिन म रोग शाइस्ताका ने उम्मच की तरह पठीको पाठी से हगा पर प्रा-"नी, नी, पारी, पादुनिया पैतीही। रेमो मार सूरज 1-बाद-मन, उनमें हरी बल, धरी, मा बुनिया वैसी ही मीठी । पामो एक बार हम फिर उस रात मठे और फिर पार " उसने विकल होकर मुमू पनी अनगिनत पुम्मन ने गले । फिर पा उसकी बाती पर सिर सर सफा पारकर रोने लगा। बेगम मी रो रही थी। मुख देर से खेमे पर बाबी धरेगा ये शारस्वासों मे पहा-"तो पारी, प्ररोकिइम होगपीएंगे "नही पारे,हमारी विनमी में अंडा जय गया है। प्राइम उत परानी सबसे । औरत को चिम्दगी उसकी अस्मत, र गई सोदिया भी गई। मेरे प्यारे शौहर, सुमेबाना होगा-मुझे मरना हेगा। मगर मोड, पर भी न बेचा इसनी पार! मोड, भोक" देगम ने एक बील मारी और मेहोश हो गई। सारस्वाहा पापन वय दियो और दो पुभरने लगा। मास में