बेगमबारादरी अपत ठे। वमी से दुपारी पर मूनि मारे मन में बगारे दिसपर उस दिन मे देत दम भरने में भूल मई। तभी से मेरा सिपेचैन है। हम तुमे परम भागाध में बैठा र सुशहाल होना बापी।रपद मने में मारा और तुमने एभरकर दिया । मेरे मस्त और पोहफे तुमने लोग दिए । प्राय हमने तुम्हें पाया। प्रबहमारे पास प्रामठो। हम प्रस्ने शाप से तुमारे समगाएँ सगे पार और धरने दिमागमाएँ" "मरव बेगम स्पति र पळ भाप समित मागम, में बावा- मेगम ऐरनी रहगरम उठी। "मारी पर हिमाकत, मागे धार और मुमतको स्मो पा दम नही बान किमारे गुस्से में पार होनसेनको वात कोदोबसमाग में बना पाता। लेकिन गमा पर इस बात का भी भाई मतर नहीं हुमा । उतमे बेगम की रिसी बात प्रभाव नही दिया। उसने मस्त मुभम बेगमप्रेममिवान किया और वेषो से परिवार बेगम पर से इसी मागिन की विशारदी हुई मानद पर वरपयने समी। रामा पवे ही प्राा मे सवाम पर सते हुए मा- 'मुबारक यश साहेब, मुघरक, शाहमादी भी पारनाई मुरारक।" समय सार मूठ पर गपा और पूता प्रा माग गया। हुगली के कैदी हुगली का हाथ बादशाह यहाँगोर मे पोचुगोबारिश था। प्रने को राज्यपार करते थे। पर वास्तव में हार,
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